भारतभारी
जिले के डुमरियागंज तहसील मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित ऐतिहासिक व महाभारत कालीन पौराणिक स्थल "भारतभारी" कोरोना आपदा की वजह से कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगभग सूना सूना सा लग रहा है। हर साल यहां पर पूर्वांचल का ऐतिहासिक मेला लगता था, जो प्रशासन की देख रेख में लगभग 1 हफ्ते तक चलता था, जहां लाखो श्रद्धालू दूर-दूर से आते थे। दूर-दूर से खजले की दुकानें आती थी। बड़ा झूला, थिएटर, मौत का कुआं व डांस पार्टी इत्यादि मेले की शोभा बढ़ाते थे। कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु यहां पर स्थित विशाल व प्राचीन जलकुंड (जिसको सागर भी कहा जाता है) में स्नान कर मंदिर में पूजा अर्चना करते थे। हालांकि अबकी बार कोरोना की वजह से केवल धार्मिक अनुष्ठान के अलावा अन्य किसी गतिविधि की इजाजत नहीं है। ऐतिहासिक रूप से देखें तो भारतभारी का उल्लेख यूनाइटेड प्राविंसेज आफ अवध एण्ड आगरा के वायलूम 32 वर्ष 1907 के पृष्ट 96,97 में है, जो बताता है कि वर्ष 1875 में भारतभारी के कार्तिक पूर्णिमा मेले में 50 हजार दर्शनार्थियों ने भाग लिया था। बनारस हिंदू व...