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Showing posts from January, 2021

कैसी गोपनीयता?

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      दुनिया में सबसे ज्यादा यूज किए जाने वाले मैसेजिंग इंस्टेंट प्लेटफार्म व्हाट्सएप की नई सेवा शर्ते आ गई है, सबको इसका नोटिफिकेशन मिलना शुरू हो गया है। कहा जा रहा है कि 8 फरवरी 2021 के बाद इन शर्तों को स्वीकार नही करने वाला व्हाट्सएप नहीं चला पाएगा। मेरे हिसाब से इसमें कोई दिक्कत नहीं है, क्योंकि हम पहले से ही अपने डाटा शेयरिंग अथॉरिटी को फेसबुक समेत कई ऐप को दे चुके हैं। हम अपने मोबाइल में अमूमन जितने भी ऐप इंस्टॉल करते हैं, उनकी नियम व शर्तों को हम बिना पढ़े मान लेते हैं। फिर इसमें बुराई क्या है। हां अगर आपको अपनी गोपनीयता बरकरार रखनी है तो मोबाइल से दूर हो जाइए गोपनीयता बनी रहेगी। मेरे हिसाब से केवल व्हाट्सएप पर गोपनीयता के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाकर हो हल्ला करना ठीक नहीं है। मैंने इसकी शर्तों को मान लिया है वैसे भी मेरे मोबाइल में तमाम ऐसे एप व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हैं जिनकी शर्तों को मैं पहले से मानता आ रहा हूं। फिर गोपनीयता कहां रह गयी, आखिर सरकार भी तो यही चाहती है कि आपकी गोपनीयता कंपनियों के पास स्टोर रहें और वह जब चाहे उसे मांग ले। और हां व्हाट...

फ़तिमा शेख पर इतिहास मौन क्यों?

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              स्त्री शिक्षा की प्रबल पैरोकार माता सावित्रीबाई फुले की सहयोगी रही प्रथम मुस्लिम महिला शिक्षिका फातिमा शेख पर इतिहास मौन क्यों है, आखिर इतिहासकारों से यह भयंकर चूक क्यों हुई? यह सोचनीय तथ्य है। जब रूढ़िवादी समाज में महिलाओं की शिक्षा के लिए सावित्रीबाई फुले ने मुहिम छेड़ा तो उस मुहिम में उनका साथ देने के लिए रूढ़िवादी समाज की बेड़ियों को तोड़कर आगे आने वाली फातिमा शेख पर प्रबुद्ध समाज व इतिहासकारों को शोध करने की जरूरत है। आज हमारे पास फातिमा शेख के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, यह इतिहास की सबसे बड़ी विडंबना है। हालाकि फातिमा शेख के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी महाराष्ट्र सरकार नें अपने उर्दू की बालभारती पुस्तक के पाठ्यक्रम में शामिल किया है।      जब सावित्रीबाई फुले व महात्मा ज्योतिबा फुले ने वंचितों व महिलाओं की शिक्षा के लिए मुहिम छेड़ा तब उन्हें समाज के रूढ़िवादी तबके की उपेक्षा झेलनी पड़ी, उस समय फातिमा शेख के भाई उस्मान शेख ने उन्हें अपने घर में शरण दिया, उस समय वंचितों व स्त्रियों की शिक्षा के लिए क...