बेचारा संसद

    पिछले कुछ सालों में धर्म के नाम पर ऐसी राजनीति कुछ पार्टियों द्वारा की गई जिससे हमारे देश की संविधान को गहरा आघात हुआ है जिसके परिणाम शायद अभी न निकले हो लेकिन आने वाले समय मे इसके भयानक परिणाम निकलने वाले है जिसका सामना करने के लिए हमको तैयार रहना होगा हालांकि हम अभी चिंतामुक्त होकर बैठे है वो भी क्यूं क्योंकि ये माहौल हमने ही बनाये है आज हमारे भारत मे वो सभी घटनाये घटित हो रही है जिसका एक सभ्य समाज कभी समर्थन नही करेगा, मैं कभी किसी धर्म के खिलाफ नही हूँ न ही किसी धर्म का आलोचक हूँ लेकिन मैं हर उस चीज का सख्त विरोधी हूँ जो देश के विकास व समाज की तरक्की में बाधक है, कल संसद में सांसदों के शपथ ग्रहण के दौरान जो कुछ भी हुआ वो एक ताकतवर व जिम्मेदार देश की संसद से तो कतई उम्मीद नही की जा सकती हमने संसद को धर्म संसद में तब्दील कर दिया आखिर किसी भी सांसद ने संसद में ये कहने की हिम्मत क्यों नही जुटाई की ये सब संसद में नही होना चाहिए संसद हमारा मंदिर है बेशक लेकिन अल्लाह हू अकबर, जय श्री राम व जय बांग्ला कहने के लिए नही संसद के मंदिर में समस्त देशवासियों के कल्याण की पूजा होनी चाहिए पूरे भारत की दुआ होनी होनी चाहिए। गरीबी, भुखमरी, मरते बच्चे, बेरोजगारी इत्यादि से ग्रसित देश की अधिकतर जनता को आपके धार्मिक नारों से न कोई सरोकार है और न ही इससे उनका कल्याण होने वाला है उनको शिक्षा चाहिए, रोजगार चाहिए, अच्छे अस्पताल चाहिए, अच्छी सड़क चाहिए, बिजली चाहिए, पानी चाहिए भयमुक्त माहौल चाहिए आप अपने धार्मिक व क्षेत्रीय नारों को राजनीति के लिए बचाकर अपने पास रखिये आगे काम आएंगे।

~सुनील कुमार 

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