आरक्षण और वंचित समाज

   देश में जारी आरक्षण पर बहस के इस दौर में मैं आरक्षण विरोधियों से केवल इतना पूछना चाहता हूं कि इतने दिनों तक आरक्षण रहने के बावजूद भी शोषित, वंचित जातियों को आज तक उनका वाजिब प्रतिनिधित्व क्यों नहीं मिल पाया?? क्या कारण है कि राजा राममोहन राय के बाद आज तक किसी सवर्ण ने वंचितों और पिछड़ों के हितों की आवाज को नहीं उठाया?? आज जातिगत आरक्षण की बजाए गरीबी के आधार पर आरक्षण की मांग की जा रही है आखिर ऐसा क्यों?? जबकि सबको मालूम होना चाहिए कि आरक्षण गरीबी उन्मूलन का आधार नहीं है, आरक्षण शोषितों, वंचितों व पिछड़ों को समान प्रतिनिधित्व दिलाने के लिए लागू किया गया था क्योंकि सामाजिक विसंगतियों की वजह से बहुत सी जातियां समाज में आर्थिक, सामाजिक व शैक्षिक रूप से बहुत ही पिछड़ गई थी। एक सशक्त लोकतंत्र की नींव वहां के सभी वर्गों के आर्थिक, सामाजिक व शैक्षिक न्याय पर टिकी होती है। 
   हमारे देश की 85 प्रतिशत वंचित व पिछड़ी जातियों के पास देश की सरकारी नौकरियां में 20 परसेंट की भी हिस्सेदारी नहीं है, संविधान के लागू होने के लगभग 70 वर्षों बाद भी सरकारों ने इन जातियों के उत्थान के लिए कोई उचित प्रबंध नहीं किए बल्कि आरक्षण को और कमजोर करने की कोशिश की है, मैं अपने सवर्ण भाइयों से भी यह पूछना चाहता हूं कि आप इन जातियों के उत्थान के लिए आवाज उठाने के बजाय आरक्षण का विरोध आखिर क्यों कर रहे हैं?? शायद इसलिए कि इसमें आपका निजी स्वार्थ है। 
   एक देशभक्त नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह देश के सभी लोग सुखी व संपन्न रहें इस दिशा में बेहतरी के लिए कार्य करे, एक सशक्त लोकतंत्र की यही निशानी है कि वहां के लोग सामाजिक और शैक्षिक रूप से सशक्त हो और सबको लोकतंत्र में बराबर की हिस्सेदारी मिले। अन्यथा तमाम परेशानियों व चुनौतियों से जूझ रहे देश में आने वाले समय में एक बहुत बड़े संघर्ष की उत्पत्ति होगी। इसलिए मेरी सरकारों व जागरूक व्यक्तियों से अपील है कि अब आप जिनके अधिकारों को वर्षों से दबाए हुए हैं, उनके अधिकार उन्हें वापस दे दीजिए। यह सरकारों के लिए एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण में और जिम्मेदार नागरिकों के लिए एक देशभक्त के रूप में एक बहुत अच्छा कदम होगा और जातियों के नाम पर पार्टियां बनाकर देश की एकता व अखंडता को खंडित करने वाले तत्वों के मुंह पर एक करारा तमाचा साबित होगा।

©SUNEEL KUMAR

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