बाबरी कश्मीर टू बेबस कश्मीर

    एक टीवी चैनल से बात करते हुए कश्मीरी सामाजिक कार्यकर्ता बाबर कादरी से जब ये पूछा गया कि आप अपने आप को हिन्दुस्तानी मानते है कि नही तो बाबर कादरी ने बड़ी सफाई से अपने आप को हिन्दुस्तानी मानने से इनकार कर दिया अब बात बाबर कादरी जैसे लोंगो के सोच की है कि ये लोग सामाजिक कार्यकर्ता है या कश्मीरी समाज को गर्त में ले जाना चाहते है आखिर बाबर कादरी जैसे सोच वाले लोग ही कश्मीर की जनता को दशकों से बहलाकर गलत रास्ते पर ले जाने को मजबूर कर रहे है, अनेक कश्मीरी राजनीतिक पार्टियां, सामाजिक कार्यकर्ता व अलगाववादी नेताओं द्वारा जो कश्मीर में सेना द्वारा आम जनता को परेशान करने व शोषण की बात कही जा रही है वो सरासर झूठ है हाँ ये बात जरूर है कि इतनी बड़ी संख्या में सेना व सशस्त्रबलों को सुरक्षा में लगाने से जरूर पब्लिक को कुछ न कुछ समस्याएं आ जाती होंगी लेकिन ये माहौल बनाया किसने है, कश्मीर का युवा रोजगार मांगता है तो आप उसको सेना पर पत्थर मारने का रोजगार देते हो और जब वो आपके द्वारा दिये गए रोजगार से हताहत होता है तो आप उसके लिए घड़ियाली आंसू बहाते हो आप के बच्चे विदेश में पढ़े ये आपका अधिकार है और आम कश्मीरी के बच्चे पत्थर बाजी करे ये अधिकार आप उन्हें दे रहे हो आखिर क्यों क्योकि इसके पीछे आपका राजनीतिक स्वार्थ छिपा है, आज कश्मीर की जनता अपने भविष्य का फैसला नही कर पा रही है क्योंकि उसकी रहनुमाई बाबर कादरी जैसे सोच वाले लोग कर रहे है जो अपने आप को सामाजिक कार्यकर्ता कह रहे है लानत है कादरी जैसे लोगो पर जो पलते भारत के पैसे से है और जिंदाबाद पाकिस्तान का कहने को कहा जाए तो अपने कपड़े फाड़ कर जिंदाबाद बोलने लग जाएंगे।
   कश्मीर की दुर्गति में अकेले बाबर कादरी जैसे लोग ही नही जिम्मेदार है इसके पीछे कश्मीरी राजनीतिक पार्टिया भी बराबर की जिम्मेदार है जो अपने आप को आम कश्मीरियों के अधिकार की लड़ाई लड़ने वाला रहनुमा बताकर लोंगो को भड़काने का काम करती रहती है ये पार्टियां नही चाहती कि कश्मीरी जनमानस को लगे कि भारत के साथ रहने पर ही उनकी भलाई है क्योंकि इससे उनकी राजनीति खतरे में आ जाएगी आखिर और मुद्दा क्या है इस पार्टियों के पास मैने कभी इनको रोजगार, सड़क, स्कूल कॉलेज के बारे में बात करते नही देखा इनका मुद्दा धारा  370, 35A ही रहा है जिसके रहने न रहने से आम कश्मीरियों को कोई लाभ नही मिलने वाला है लेकिन इन्ही राजनीतिक पार्टियों व बाबर कादरी जैसे लोंगो की बजह से ही अलगाववादी नेताओं व पाकिस्तान परस्त आतंकियों के हौसले बुलंद हो रहे है फिलहाल हुर्रियत, आतंकियों, कश्मीरी राजनीतिक पार्टियों समेत बाबर कादरी जैसे लोगों के अपने अपने राजनीतिक फायदे है जिसके लिए कश्मीरी आवाम को ये लोग फुटबॉल की तरह दशकों से इस्तेमाल कर रहे है परिणामस्वरूप जिसका खामियाजा आम कश्मीरी आज तक भुगत रहा है और न जाने कब तक भुगतेगा।


©सुनील कुमार 

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