तुम कितने गांधी मारोगे...
मैं जानता हूं कि मेरे इस शीर्षक में कुछ लोग गलत अर्थ खोजेंगे लेकिन अर्थ निकालते समय वो ये भूल जाएंगे कि चाकू अगर किसी की जान ले सकता है तो बचा भी सकता है बस उसका उपयोग कौन कर रहा है ये बात महत्वपूर्ण है आज हम गांधी जी की 150वी जयंती मना रहे है या यूं कहिये पूरा विश्व मना रहा है ये वही गांधी है जिनके नाम पर यूनाइटेड नेशंस में गांधी सौर पार्क उद्घाटन का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया, जिसके नाम का जिक्र माननीय मोदी जी ने यूएन महासभा को संबोधित करते हुए कई बार किया, अब मोदी जी के भक्त आज गांधी जी का पुतला जलाए, गांधी जी की मूर्ति पर जूता मारे या गोडसे जिंदाबाद का नारा लगाए तो बात और है लेकिन ये बात सोचनीय है कि क्या ऐसी विचारधारा वाले लोंगो का सरकार सच मे समर्थन कर रही है क्योंकि बीते कुछ बर्षो में गांधी विरोधी लोंगो में बढ़ोत्तरी हुई है इनको पर्दे के पीछे से समर्थन कौन दे रहा है ये बात सोचनीय है माननीय मोदी जी गांधीवादी है इसमें कोई दो राय नही लेकिन अगर इनके ही समर्थक गांधी का विरोध व गोडसे जिंदाबाद का नारा लगाएंगे तो दुनिया में गांधीवाद का ढिंढोरा पीटने वाले हमारे प्रधानमंत्री माननीय मोदी जी की विश्व पटल पर क्या छवि होगी इसका आप अंदाजा लगा सकते हैं रही गांधी जी की बात तो गांधीवाद एक ऐसी विचारधारा है जिसका अनुसरण आज पूरी दुनिया कर रहा है।
बड़े शर्म के साथ यह कहना पड़ रहा है कि मैं उस भारत में रहता हूं जहां आज गोडसे का लोग मंदिर बना रहे हैं उस गोड़से का जिसने एक बूढ़े निहत्थे इंसान पर गोली चलाई अब उसने क्यों चलाई किस लिए चलाई यह मैं नहीं जानता लेकिन मैं इतना जरूर जानता हूं कि अगर गोडसे को पता होता की मैं गांधी को तो मार सकता हूं लेकिन गांधीवाद सदियों सदियों तक नहीं मारा जा सकता तो उसने कभी यह गलती नहीं की होती, तबके गोडसे और आज के गोडसे समर्थक में इतनी ताकत नहीं है जो गांधी के विचारों की हत्या कर सके।
ऐसा नहीं है की पहले गांधी विरोधी नहीं थे पहले भी गांधी का विरोध करने वाले लोग थे लेकिन अफसोस यह है कि आज गांधी विरोधी और गांधीवादी में फर्क करना बड़ा मुश्किल हो गया है क्योंकि हमारे देश की संसद में कुछ ऐसे लोग हैं जो नाथूराम गोडसे जिंदाबाद बोलकर उसी संसद में बैठते हैं जहां ऊपर अगर नजर डालेंगे तो गांधीजी की तस्वीर अवश्य नजर आ जाएगी, संसद परिसर में अगर नजर डालेंगे तो गांधी जी की मूर्ति अवश्य नजर आ जाएगी मैं ऐसे गांधी विरोधी विचारधारा रखने वाले लोगों से यह कहना चाहूंगा कि वह ऐसी संसद का बहिष्कार करें जहां गांधी जी की मूर्ति हो नहीं तो मैं आपको गोडसेवादी नहीं मानूंगा क्योंकि आप जिस संसद भवन में बैठते हैं उसकी दीवारों पर गांधी जी की फोटो लगी है और आपने इतनी हिम्मत नहीं है कि उसको हटवा सके वैसे भी गांधीवादी हर कोई नहीं हो सकता है इसके लिए गांधी को पढ़ना पड़ेगा, फेसबुक और व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से आप अंध ज्ञान तो प्राप्त कर सकते हैं लेकिन ज्ञान नही अंत में बस इतना कहना चाहूंगा कि आप गांधी को तो मार सकते हैं लेकिन उनकी विचारधारा को नहीं...
जयंती पर नमन
©सुनील कुमार
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